भारतीय कला का भविष्य निस्संदेह बहुत उज्जवल है। मीडिया के बढ़ते प्रभाव से विश्व का भूगोल तेजी से सिमट रहा है और भारतीय कलाकार की पहुंच भी बढ़ रही है। पहले अन्य देशों विशेषकर जर्मनी,अमेरिका और ब्रिटेन की गैलरियों में भारतीय कलाकारों की बहुत कम पेंटिंग देखने को मिलती था इधर मैं जर्मनी गई थी तो देखा कि भारतीय कला की मांग बढ़ी है।

सौ साल बाद स्थिति बेहद सुखद रहने वाली है। मुझे पूरा यकीन है कि विदेश की प्रसिद्ध कला दीर्घाओं में भारतीय पेंटिंग की धूम रहेगी। जहां तक लोगों की कला में दिलचस्पी का सवाल है, तो निस्संदेह यह और बढ़ेगी। आज से दस साल पहले तक कला को केवल बौद्धिक जगत के लोगों से ही संबद्ध करके देखा जाता था। अब कला जन-जन तक पहुंच रही है। कला विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की सेख्या में जिस तेजी से इजाफा हो रहा है, उससे एक उम्मीद जरुर बंधती है। गौर करने वाली बात यह है कि पहले कला को अपना कैरियर बनाने की बात एक कलाकार का बेटा ही सोचता था, लेकिन अब ऐसे बच्चे भी कला में भविष्य बना रहे हैं, जिनका पीढ़ियों से कला के क्षेत्र से कोई लेना-देना नहीं है। कला के क्षेत्र में संभावनाएं भी बढ़ी हैं, जिसके कारण युवाओं का रुझान इस क्षेत्र की तरफ बढ़ा है। कुल मिलाकर आज की स्थितियां भविष्य की बेहतर संभावनाओं के प्रति आशा जगाती हैं।
-भास्कर फीचर नेटवर्क
प्रस्तुति-प्रीतिमा वत्स
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