आजादी के लिए काफी संघर्ष हुए। शहीदों ने कुर्बानियां दीं। पर सबको आजादी नहीं मिलने के कुछ अन्य कारण हैं। वैसे हमारे समाज की जो सबसे बड़ी खूबी है वह संस्कृति की विविधता है। सांस्कृतिक बहुलता की जड़ें इतनी गहरी हैं कि लोकतंत्र जिंदा रहा। तमाम तरह के आक्रमण व कोशिशों के बावजूद अगर राजनीतिक रूप से हम आजाद हैं तो इसका एक बड़ा कारण देश की सांस्कृतिक बहुलता और उसकी एकता है।एक कलाकार की हैसियत से मैंने महसूस किया है कि नैतिकता एक किस्म की विवशता हो गई है। आम लोगों में यह बात घर कर गई है कि एक नैतिक आदमी सफल नहीं हो सकता। और सफलता के शार्टकट रास्ते अनैतिकता की सुरंग से होकर गुजरते हैं। खासकर कला की दुनिया में अनैतिकता की छाया मुझे ग्रहण जैसे लगती है। एक कलाकार दूसरे की पेंटिंग नकल कर अपने नाम से बेच रहा है, प्रदर्शित कर रहा है, और यह सब किसी शेयर बाजार में नहीं,बल्कि कला की दुनिया में हो रहा है। कला की पहली शर्त है ईमानदारी और नैतिकता। आजादी की इस वर्षगांठ पर अगर हम नैतिक होने का प्रण लें, कोशिश करें तो शायद आजादी की मुकम्मल तस्वीर धीरे-धीरे स्वतः उभरने लगेगी।
प्रस्तुतिः प्रीतिमा वत्स

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